Monday, August 9, 2010

ज़िन्दगी




ये ज़िन्दगी रेत की तरह होती है
जब तक इसे खुले हाथों में रक्खो तब तक ये तुम्हारी है
पर अगर इसे मुट्ठी में बंद करना चाहो
तो ये उँगलियों के बीच से फिसल जाती है 
यही ज़िन्दगी है

5 comments:

Gazal Bharadwaj said...

thats d crux na...
muththi mein band hi kyun karna.... live free; love free....
saans mein hawa; jaan mein zamin...
dil mein khula aasma....
pyar hai khuda; Pyar hai khushi...
Pyar se hai dono jahan.....

Vishal Raj said...

@Gazal :
जब ज़िन्दगी में कुछ या कोई अपना लगता है
और वो हमारी ज़िन्दगी बन जाते हैं
तो उसे खो देने का डर दिल में घर कर लेता है
इसी डर को छुपाने के लिए हम मुट्ठी बंद करते हैं
पर भूल जाते है की ज़िन्दगी रेत के तरह होती है
अगर इसे मुट्ठी में बंद करना चाहो तो
तो ये उँगलियों के बीच से फिसल जाती है

Beyond Horizon said...

yes its called life...but it doesnt mean it shud remain closed 4ever....open it....freely....n close once again 2 hold new things...a new life
:)

Anonymous said...

wah I did not know you write in Hindi too. Read my Hindi poems Vishal? Your photographs are amazing . Good job man

Vishal Raj said...

टिकुल्ली: धन्यवाद आपका | हम आपकी हिंदी की कवितायें ज़रूर पढेंगे | सभी चित्र गूगल की मदद से ढूंढें गए हैं |

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